ग़ज़ल( ये कल की बात है )
उनको तो हमसे प्यार है ये कल की बात है
कायम ये ऐतबार था ये कल की बात है
जब से मिली नज़र तो चलता नहीं है बस
मुझे दिल पर अख्तियार था ये कल की बात है
अब फूल भी खिलने लगा है निगाहों में
काँटों से मुझको प्यार था ये कल की बात है
अब जिनकी बेबफ़ाई के चर्चे हैं हर तरफ
बह पहले बफादार थे ये कल की बात है
जिसने लगायी आग मेरे घर में आकर के
बह शख्श मेरा यार था ये कल की बात है
तन्हाईयों का गम ,जो मुझे दे दिया उन्होनें
बह मेरा गम बेशुमार था ये कल की बात है
ग़ज़ल प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
जिसने लगायी आग मेरे घर में आकर के
जवाब देंहटाएंबह शख्श मेरा यार था ये कल की बात है
***
यूँ भी होता है दुनिया में, पलक झपकते सबकुछ बदल जाता है दुनिया में!
सक्सेना जी , में आपके ब्लोगों का समर्थक भी हूँ लेकिन पता नहीं क्या कारण है कि आपके ब्लोगों की रचनाएं मेरे डेशबोर्ड पर आती नहीं है !
जवाब देंहटाएंसुन्दर गजल !!
अब फूल भी खिलने लगा है निगाहों में
जवाब देंहटाएंकाँटों से मुझको प्यार था ये कल की बात है
bahut sunder ....!!
जब से मिली नज़र तो चलता नहीं है बस
जवाब देंहटाएंमुझे दिल पर अख्तियार था ये कल की बात है ...
प्रेम में ये जोखिम तो है ... दिल पे इख्तियार खत्म हो जाता है ...
लाजवाब शेर हैं ...
तन्हाईयों का गम ,जो मुझे दे दिया उन्होनें
जवाब देंहटाएंबह मेरा गम बेशुमार था ये कल की बात है
और
महोदय,
भूल गये हम भी उस वफा की बेवफाई
आज फिर उसकी वफा याद आई जो कल की बात है
मदन भाई ये गजल किस बहर पर लिखी हुई है, समझ नहीं पाया कृपया आप बताये , मुझे कुछ गलतियाँ इसमें लग रही है, आप एक बार बहर बता दे फिर मैं आपको गलतियाँ बताता हूँ, कृपया मेरी बात का बुरा न माने,,,,, सादर
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