गज़ल ( सेक्युलर कम्युनल )
जब से बेटे जबान हो गए
मुश्किल में क्यों प्राण हो गए
किस्से सुन सुन के संतों के
भगवन भी हैरान हो गए
आ धमके कुछ ख़ास बिदेशी
घर बाले मेहमान हो गए
सेक्युलर कम्युनल के चक्कर में
गाँव गली शमसान हो गए
कैसा दौर चला है अब ये
सदन कुश्ती के मैदान हो गए
बिन माँगें सब राय दे दिए
कितनों के अहसान हो गए
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
बहुत ही आनंद-दायक-
जवाब देंहटाएंआभार भाई-
prasangik...sundar abhivyakti
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (23.09.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटीक और दिल को छू लेने वाली गजल ।
जवाब देंहटाएंसेक्युलर कम्युनल के चक्कर में
जवाब देंहटाएंगाँव गली शमसान हो गए
Bahut Bahut Umda