गज़ल (बोल)
उसे हम बोल क्या बोलें जो दिल को दर्द दे जाये
सुकूं दे चैन दे दिल को , उसी को बोल बोलेंगें
जीवन के सफ़र में जो मुसीबत में भी अपना हो
राज ए दिल मोहब्बत के, उसी से यार खोलेंगें
जब अपनों से और गैरों से मिलते हाथ सबसे हों
किया जिसने भी जैसा है , उसी से यार तोलेंगें
अपना क्या, हम तो बस, पानी की ही माफिक हैं
मिलेगा प्यार से हमसे ,उसी के यार होलेंगें
जितना हो जरुरी ऱब, मुझे उतनी रोशनी देना
अँधेरे में भी डोलेंगें उजालें में भी डोलेंगें
ग़ज़ल
मदन मोहन सक्सेना
बढ़िया प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आदरणीय-
क्या बात है..., बहुत खूब। http://natkhatkahani.blogspot.com
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