माता मम्मी अम्मा कहकर बच्चे प्यार जताते थे
मम्मी अब तो ममी हो गयीं प्यारे पापा डैड हो गए
पिज्जा बर्गर कोक भा गया नए ज़माने के लोगों को
दही जलेबी हलुआ पूड़ी सब के सब क्यों बैड हो गए
गौशाला में गाय नहीं है ,दिखती अब चौराहों में
घर घर कुत्ते राज कर रहें मालिक उनके मैड हो गए
कैसे कैसे गीत हुये अब शोरनुमा संगीत हुये अब
देख दशा और रंग ढंग क्यों तानसेन भी सैड हो गए
दादी बाबा मम्मी पापा चुप चुप घर में रहतें हैं
नए दौर में बच्चे ही अब घर के मानों हैड हो गए ।
मदन मोहन सक्सेना
हा..हा.., बहुत खूब लिखा है आपने। मेरे ब्लाग पर आपका स्वागत है। मेरा लिंक http://www.kanafusi.com
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंआप का तहेदिल से शुक्रिया मेरी इस रचना को अपना समय देने के लिए एवं अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने के लिए … स्नेह युहीं बनायें रखें … सादर !
जवाब देंहटाएंमदन मोहन सक्सेना
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