ग़ज़ल (दोस्ती आती नहीं है रास अब बहुत ज्यादा पास की)
नरक की अंतिम जमीं तक गिर चुके हैं आज जो
नापने को कह रहे , हमसे बह दूरियाँ आकाश की
इस कदर भटकें हैं युबा आज के इस दौर में
खोजने से मिलती नहीं अब गोलियां सल्फ़ास की
आज हम महफूज है क्यों दुश्मनों के बीच में
दोस्ती आती नहीं है रास अब बहुत ज्यादा पास की
बँट गयी सारी जमी ,फिर बँट गया ये आसमान
क्यों आज फिर हम बँट गए ज्यों गड्डियां हो तास की
हर जगह महफ़िल सजी पर दर्द भी मिल जायेगा
अब हर कोई कहने लगा है आरजू बनवास की
मौत के साये में जीती चार पल की जिंदगी
क्या मदन ये सारी दुनिया, है बिरोधाभास की
नापने को कह रहे , हमसे बह दूरियाँ आकाश की
इस कदर भटकें हैं युबा आज के इस दौर में
खोजने से मिलती नहीं अब गोलियां सल्फ़ास की
आज हम महफूज है क्यों दुश्मनों के बीच में
दोस्ती आती नहीं है रास अब बहुत ज्यादा पास की
बँट गयी सारी जमी ,फिर बँट गया ये आसमान
क्यों आज फिर हम बँट गए ज्यों गड्डियां हो तास की
हर जगह महफ़िल सजी पर दर्द भी मिल जायेगा
अब हर कोई कहने लगा है आरजू बनवास की
मौत के साये में जीती चार पल की जिंदगी
क्या मदन ये सारी दुनिया, है बिरोधाभास की
ग़ज़ल प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
बढ़िया प्रस्तुति आप की, बड़ा विरोधाभास |
जवाब देंहटाएंमेरी मंगल कामना, फैले सदा सुबास ||
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" में शामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल {बृहस्पतिवार} 12/09/2013 को क्या बतलाऊँ अपना परिचय - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः004 पर लिंक की गयी है ,
जवाब देंहटाएंताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें. कृपया आप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसच कहा ---सुन्दर कहा...
जवाब देंहटाएंसचमुच है मेरे दोस्त ये दुनिया विरोधाभास की |
है कामना इससे ही निकले ज्योति कोई आस की |
मौत के साये में जीती चार पल की जिंदगी
जवाब देंहटाएंक्या मदन ये सारी दुनिया, है बिरोधाभास की sacchi bat mere dil ki bat ...
सुंदर !
जवाब देंहटाएंचढ़े सलीबों पर हमीं,हमीं गये वनवास।
जवाब देंहटाएंदुनिया तो बदली नहीं,लेकिन नहीं हताश।
लेकिन नहीं हताश, काम अपना है जारी।
हटे विरोधाभास, भले है मुश्किल भारी।
मौत के साये में जीती चार पल की जिंदगी
जवाब देंहटाएंक्या मदन ये सारी दुनिया, है बिरोधाभास की
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
latest post गुरु वन्दना (रुबाइयाँ)
लाजवाब गज़ल है मदन जी ... हर शेर सटीक है हालात पे ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया गजल।
जवाब देंहटाएंnice one :)
जवाब देंहटाएं