अब जीना दुश्बार हुआ
अज़ब गज़ब सँसार हुआ
रिश्तें नातें प्यार बफ़ा से
सबको अब इन्कार हुआ
बंगला ,गाड़ी ,बैंक तिजोरी
इनसे सबको प्यार हुआ
जिनकी ज़िम्मेदारी घर की
वह सात समुन्द्र पार हुआ
इक घर में दस दस घर देखें
अज़ब गज़ब सँसार हुआ
मिलने की है आशा जिससे
उस से सब को प्यार हुआ
ब्यस्त हुए तव बेटे बेटी
मदन "बूढ़ा " जब वीमार हुआ
ग़ज़ल (अजब गजब सँसार )
मदन मोहन सक्सेना
सबको अब इन्कार हुआ
बंगला ,गाड़ी ,बैंक तिजोरी
इनसे सबको प्यार हुआ
जिनकी ज़िम्मेदारी घर की
वह सात समुन्द्र पार हुआ
इक घर में दस दस घर देखें
अज़ब गज़ब सँसार हुआ
मिलने की है आशा जिससे
उस से सब को प्यार हुआ
ब्यस्त हुए तव बेटे बेटी
मदन "बूढ़ा " जब वीमार हुआ
ग़ज़ल (अजब गजब सँसार )
मदन मोहन सक्सेना
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28 - 01 - 2016 को चर्चा मंच पर चर्चा -2235 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
आप का तहेदिल से शुक्रिया मेरी इस रचना को अपना समय देने के लिए एवं अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने के लिए … स्नेह युहीं बनायें रखें … सादर !
हटाएंमदन मोहन सक्सेना
https://www.facebook.com/MadanMohanSaxena
सुन्दर और भावपूर्ण कविता।
जवाब देंहटाएंआप का तहेदिल से शुक्रिया मेरी इस रचना को अपना समय देने के लिए एवं अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने के लिए … स्नेह युहीं बनायें रखें … सादर !
जवाब देंहटाएंमदन मोहन सक्सेना
https://www.facebook.com/MadanMohanSaxena